Report ring Desk
नई दिल्ली। अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में चल रहे तीन दिवसीय ‘उत्कर्ष महोत्सव का सोमवार को समापन हो गया।’ सोमवार को तीसरे दिन केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने दीप प्रज्जवलित एवं सरस्वती माल्यार्पण के साथ तीसरे दिन के महोत्सव का शुभारंभ किया। प्रधान ने कहा कि तीन दिनों तक आपने इस संस्कृत महोत्सव का सफल आयोजन किया उससे वास्तव में संस्कृत उत्कर्ष दिवस अपने आप में चरितार्थ हुआ है। उन्होंने कहा कि यह बात समझने की है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था को कैसे डीक्लोनाइज़ किया जाए, क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को इसी संस्कृत और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में बनाया है। इसलिये भी संस्कृत और भारतीय भाषाओं का शिक्षा में महत्व बढ़ गया है और शिक्षाविदों-शिक्षकों-छात्रों का यह उत्तरदायित्व बनता है कि इस त्रिदिवसीय महत्वपूर्ण महोत्सव के आधार पर एक रोड मैप बनाकर प्रस्तुत करें जिसमें कम से कम 10 बिन्दु प्रस्तुत करें जिसके आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020प्रस्तुत करें जिसमें संस्कृत को विशेष ढंग से क्रियान्वयन किया जा सके।
इस अवसर पर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विशिष्ट अतिथि प्रो. एम जगदीश कुमार, अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा पद्मश्रीचमूकृष्ण शास्त्री, अध्यक्ष, भारतीय भाषाओं की प्रोन्नति हेतु विशेषाधिकार समिति भी मौजूद रहे।
समापन अवसर पर संस्कृत भाषा के तीनों विश्वविद्यालयों का सहमति पत्र का लोकार्पण किया गया। पूर्व कुलपति प्रो. वेम्पटि कुटुम्ब शास्त्री द्वारा सम्पादित एवं बच्चाझा की मधुसूदनी टीका सम्बलित पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता का भी लोकार्पण किया गया। साथ ही केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलगीत की भी मल्टी मीडिया के माध्यम से प्रस्तुति की गई और संस्कृत विमर्श पत्रिका का भी विमोचन किया गया।
विशिष्ट अतिथि, प्रो. एम. जगदीश कुमार ने सभा के सम्बोधित करते हुए कहा कि नासा ने इस बात को स्वीकार किया है कि आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस संस्कृत भाषा को बहुत नजदीक से समझती है। यही कारण है कि संस्कृत भविष्य की भाषा है और नई शिक्षा नीति में जो बहुभाषावादिता की बात हो रही है उसका बहुत बड़ा कारण यह है कि न्यूरोरॉजिकल सांइस के जो ब्रेन चैनल होते हैं वे भाषा विशेषकर संस्कृत भाषा के बहुत ही नजदीक से समझ पाती हैं। संस्कृत कि उच्चारण से मस्तिष्क की गुणवत्ता और बढ़ जाती है।
अपने स्वागत भाषण में केंद्रीय संस्कृत विवि दिल्ïली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि वर्तमान शिक्षा मंत्री मुझे सुझाव दिया है कि आप संस्कृत भाषा को इतना सक्षम बनाइए कि इस भाषा के विद्यार्थी स्नातक करते ही रोजग़ार प्राप्त कर सकें। कुलपति वरखेड़ी ने यह भी कहा कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली तथा अन्य संस्कृत विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर आपके इस निर्देश को क्रियान्वयन करने का हम हर सम्भव प्रयास करेंगे।


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