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चीनी इकॉनमी को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने पर ज़ोर

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कोविड-19 के प्रभाव के चलते विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है। हालांकि चीन इस वैश्विक चुनौती के झटके से कुछ हद तक उबरने  में कामयाब रहा है। इस बीच अब चीन का ध्यान अपनी इकॉनमी को अधिक प्रतिस्पर्धी व इनोवेटिव बनाने पर लग गया है। इसके साथ ही खासकर मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को आगे बढ़ाने और औद्योगिक श्रृंखला के स्तर में सुधार करने की जरूरत महसूस की जा रही है।

जैसा कि हम जानते हैं कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले दिनों उत्तर-पूर्ण चीन के चीलिन प्रांत का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने वहां के तमाम अधिकारियों की बैठक ली और ज़ोर देते हुए कहा कि पूरे उत्तर-पूर्वी इलाके को फिर से जीवंत करने की आवश्यकता है। ध्यान रहे कि चीन का यह क्षेत्र मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर जाना जाता है। जहां पर चीन की जानी-मानी कार कंपनी होंगछी का प्रमुख सेंटर भी है। चीन के पहले मोटर वाहन ग्रुप की स्थापना नए चीन की स्थापना के चार साल के भीतर जुलाई 1953 में हुई थी। जहां 1956 में चीन ने ट्रक उत्पादन शुरू किया, वहीं 1958 में चीन की पहली गाड़ी तोंगफंग और पहली लग्ज़री कार होंगछी का प्रोडक्शन भी शुरू किया गया।

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उत्तर-पूर्व क्षेत्र ने चीन के मोटर वाहन उद्योग के विकास में कितना योगदान दिया है, इसका अंदाज़ा आपको लग गया होगा। ऐसे में चीनी राष्ट्रपति का इस इलाके के दौरे पर जाना अपने आप में बहुत महत्व रखता है। इसके साथ ही चीनी नेता द्वारा इकॉनमी को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की बात करने को भी विशेषज्ञ काफी अहम मान रहे हैं। क्योंकि चीन दुनिया के कारखाने के तौर पर प्रसिद्ध है, और चीन में बनने वाली चीज़ें विश्व के कोने-कोने में जाती हैं।

जाहिर है कि चीनी राष्ट्रपति ने एक बेहतर कारोबारी माहौल तैयार करने की अपील की, जो बाजार सिद्धांतों, कानून के शासन और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो। इसके साथ ही 14 वीं पंचवर्षीय योजना (2021-25) के लिए विकास योजनाओं को सही ढंग से तैयार करने की बात कही गयी है। इसके लिए वैज्ञानिक तरीकों से अनुसंधान करने पर भी फ़ोकस किया गया है।

चीनी राष्ट्रपति द्वारा उत्तर पूर्वी क्षेत्रों का दौरा करना एक नया संकेत दे रहा है। संकट के इस दौर में अगर चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो जाहिर सी बात है उसका असर वैश्विक इकॉनमी के ग्रोथ पर पड़ेगा।

साभार-चाइना मीडिया ग्रुप

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