By Anil Azad Pandey, Beijing
चीन में इन दिनों महत्वपूर्ण दो सत्र आयोजित हो रहे हैं। एनपीसी और सीपीपीसीसी नाम के इन सत्रों में होने वाली चर्चा व तैयार होने वाली योजनाओं पर पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित हो रहा है। जाहिर है कि चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में चीन में होने वाली ऐसी गतिविधियों का असर व्यापक तौर पर देखा जाता है।
इस दौरान सीएमजी के वरिष्ठ संवाददाता अनिल पांडेय ने भारत के जाने-माने पत्रकार और संपादक सीताराम मेवाती के साथ विशेष बातचीत की।
मेवाती ने बातचीत में कहा कि उन्हें चीन के दो सत्रों से काफी उम्मीदें हैं। क्योंकि यह चीन का सबसे बड़ा वार्षिक घटनाक्रम होता है। जिसमें चीन के शीर्ष नेताओं के अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों के प्रतिनिधि भी अपने विचार और सुझाव रखते हैं। वहीं इन सत्रों पर चीन के साथ-साथ अन्य देशों में भी लोगों में काफी रुचि रहती है। एक तरह से ये भारत के बजट सत्र की तरह होते हैं। कहा जा सकता है कि एनपीसी और सीपीपीसीसी दुनिया को चीन को बारीकी से समझने के महत्वपूर्ण मंच होते हैं।
पाँच बार चीन का दौरा कर चुके सीताराम को साल 2023 के दो सत्र में हिस्सा लेने का मौका हासिल हुआ। चीन में रहते हुए उन्होंने विभिन्न प्रांतों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने चीन के गरीबी उन्मूलन अभियान के बारे में विस्तार से जाना। वे कहते हैं कि दो सत्रों के दौरान जो योजनाएं तैयार की जाती हैं, उन पर पूरी तरह अमल भी किया जाता है। चीन में रहते हुए इसे उन्होंने प्रत्यक्ष तौर पर देखा और महसूस किया है।
बकौल सीताराम, चीन की शीर्ष एजेंसियों द्वारा जो प्रस्ताव पारित किए जाते हैं, उनके दूरगामी परिणाम देखने को मिलते हैं। हमने यह भी देखा है कि कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को परेशान कर दिया था। जिसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा। जो एक तरह से अभी भी कमजोर है, लेकिन चीन और भारत जैसे देशों में इतनी क्षमता है कि दुनिया इनकी ओर देख रही है। चीन ने इस साल के लिए 5 प्रतिशत की वृद्धि दर का लक्ष्य तैयार किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि चीन इसे हासिल कर पाएगा। साथ ही चीन जिस तरह से आधुनिक तकनीक और चीनी शैली के आधुनिकीकरण पर जोर दे रहा है। उसके परिणाम भी भविष्य में देखने को मिलेंगे। कुल मिलाकर बीजिंग में चल रहे दो सत्रों से पूरे विश्व पर एक सकारात्मक व मजबूत संदेश जाएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और कई वर्षों से चीन में कार्यरत हैं।)