Report Ring News, Delhi
देश में लंबे समय से अदालतों के आदेशों में होने वाली देरी पर चिंता जताई जाती रही है। लेकिन अब यह समस्या दूर हो सकती है। क्योंकि इस बारे में एक सॉफ्टवेयर लांच किया गया है। बताया जाता है कि फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स यानी फास्टर नामक यह सॉफ्टवेयर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना ने लांच किया। जिसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से अदालत के आदेशों को तेज और सुरक्षित ढंग से आगे बढ़ाने में मदद देना है।
जाहिर है कि फास्टर सॉफ्टवेयर से न्यायिक आदेशों के फास्ट कम्युनिकेशन में सहायता मिलेगी। यह न केवल जमानत आदेशों को तेजी से पहुंचाएगा बल्कि प्रमाणीकरण के उद्देश्य से इसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर भी होंगे।

इस सॉफ्टवेयर के लांचिंग के मौके पर मुख्य न्यायाधीश रमना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और अन्य उच्च न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों को तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के बिना सुरक्षित रूप से प्रसारित किया जाना है। इस बारे में हाई कोर्ट स्तर पर 73 नोडल अधिकारियों और न्यायिक संचार नेटवर्कर्क के माध्यम से चयनित जेल अधिकारियों को नॉमिनेट किया है। इस संबंध में एक सुरक्षित ईमेल आईडी भी शुरू की गयी है।
बताया गया है कि देश भर में अदालतों से जुड़े इन नोडल अधिकारियों के कुल1,887 ईमेल आईडी हैं। ऐसे में फास्टर सॉफ्टवेयर जमानत आदेशों को जल्दी से पहुंचाएगा और प्रमाणीकरण के लिहाज से इसमें देश की शीर्ष अदालत के अधिकारियों के डिजिटल साइन भी होंगे।
यहां बता दें कि आरोपियों को जमानत देने के बाद भी न्यायिक आदेशों की गैर-प्राप्ति या गैर-सत्यापन जैसे आधारों पर उनकी रिहाई में देरी का मामला सामने आया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्वत: संज्ञान लिया। और आज इस विशेष सॉफ्टेवयर को लांच कर दिया गया।
सॉफ्टेवर के लांचिंग के अवसर पर सीजेआई रमना, जस्टिस एएम खानविलकर, डी वाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश व न्यायाधीश आदि उपस्थित थे।

