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फिल्म ‘पायर’ के आमा-बूबू निर्देशक विनोद कापड़ी के साथ तेलिन रवाना

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– तेलिन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने वाली इकलौती भारतीय फिल्म
– आमा-बूबू की पहली विदेश यात्रा पर पहली उड़ान

नई दिल्ली। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक विनोद कापड़ी की फिल्म ‘पायर’ सभी का ध्यान अपनी तरफ खींच रही है। यह फिल्म एस्टोनिया की राजधानी तेलिन में होने वाले तेलिन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने वाली भारत की इकलौती फिल्म है। इस फिल्म में उम्रदराज गैर-पेशेवर कलाकार हैं, जिन्हें आमा और बुबू (दादी और दादा) के रूप में दिखाया गया है। इस फिल्म में हिमालयी क्षेत्र के जीवन के सार को दिखाया गया है। फिल्म से जुड़ी खबर आई है कि एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए आमा और बुबू, निर्देशक विनोद कापड़ी के साथ एस्टोनिया की राजधानी तेलिन के लिए रवाना हो गए हैं।

उत्तराखंड में हिमालय की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म ‘पायर’ 80 साल के एक बुजुर्ग जोड़े की अनोखी दिल दहला देने वाली प्रेम कहानी बताती है। विनोद कापड़ी ने दो स्थानीय बुजुर्गो, पदम सिंह और हीरा देवी को मुख्य कलाकार के रूप में लिया, जिनमें से किसी ने भी पहले कभी कैमरा या फिल्म नहीं देखी थी। वे फिल्म के मुख्य कलाकार बने और उनकी फिल्म का विश्व प्रीमियर तेलिन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में होगा, जिसमें पदम सिंह और हीरा देवी भी शामिल होंगे। आमा और बुबू की यह पहली विदेश यात्रा है। साथ ही वे अपनी जिंदगी में पहली बार उड़ान भर रहे हैं। यह पल उनकी जिंदगी में किसी कोहिनूर से कम नहीं है, बावजूद इसके फिल्म की मुख्य अभिनेत्री हीरा देवी का दिल उत्तराखंड में अपनी भैंस के पास ही अटका हुआ है।

Heera devi

पदम सिंह और हीरा देवी दोनों उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले हैं। पदम सिंह भारतीय सेना सेवानिवृत्त हैं, जो गांव में ही खेती करते करते हैं, वहीं हीरा देवी अपनी भैंस की देखभाल करती हैं और जंगल से लकडिय़ां और घास इक_ा करती हैं। हीरा देवी के एक बेटे और बेटी हैं, जिनकी शादी हो चुकी हैं।पति की मौत के बाद हीरा देवी अकेले अपनी भैंस के साथ जीवन बिता रही हैं। भैंस की देखभाल करना, उनके लिए जंगलों से घास लाना ही उनकी दिनचर्या थी। एक दिन विनोद की ओर से फिल्म का प्रस्ताव मिलने पर हीरा देवी हैरान रह गई और शुरुआत में उन्होंने फिल्म की अभिनेत्री बनने से इनकार भी कर दिया था।

‘पायर’ एक सच्ची कहानी पर बनी फिल्म है, जो विनोद कापड़ी को 2017 में मुनस्यारी के एक गांव में मिले एक बुजुर्ग जोड़े की कहानी है। उत्तराखंड से लगातार पलायन के कारण वीरान होते जा रहे गांवों की पृष्ठभूमि में यह जोड़ा मौत का इंतजार कर रहा था, लेकिन एक.दूसरे के लिए उनके प्यार ने विनोद के दिल पर इतनी गहरी छाप छोड़ी कि उन्होंने इस फिल्म को बनाने का फैसला किया। तेलिन ब्लैक नाइट्स में अपने विश्व प्रीमियर के बाद ‘पायर’ अगले साल के अंत में भारत में रिलीज होने से पहले अपने फेस्टिवल रन पर होगी।

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