दिल्ली व एनसीआर सहित देश के कई हिस्सों में पॉल्युशन का कहर बढ़ता जा रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि कोरोना के दौर में प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए और खतरनाक साबित हो सकता है। इस बीच केंद्र सरकार ने इस बाबत कानून लाए जाने की बात कही है।
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ठंड का मौसम नजदीक आते ही दिल्ली व एनसीआर सहित देश के तमाम इलाकों में धुंध और प्रदूषण का स्तर बेहद बढ़ने लगा है। लगभग हर साल यही स्थिति होती है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कहर के बीच पॉल्युशन लोगों की सेहत के लिए बहुत घातक साबित हो सकता है। विशेषकर श्वसन संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। क्योंकि कोविड-19 वायरस भी लंग्ज़ यानी फेफड़ों पर ही सबसे अधिक वार करता है। जबकि प्रदूषण से भी ऐसा ही होता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड( सीपीसीबी) के मुताबिक देश के कई इलाकों में प्रदूषण का लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गयी है। सीपीसीबी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ दिनों में दिल्ली में एयर क्वालिटी का स्तर 300 से अधिक आंका गया, जो कि बहुत खराब है।
जहां तक राजधानी दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में धुंध की गहरी चादर लिपटने का सवाल है तो उसके लिए पंजाब में पराली जलाए जाने को प्रमुख रूप से ज़िम्मेदार बताया जा रहा है। इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है, दिल्ली सरकार कहती है कि पाल्युशन की मुख्य वजह पराली जलाया जाना है। जबकि पंजाब सरकार इसे मानने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी ही स्थिति पिछले कई वर्षों से देखी जा रही है, लेकिन राज्य व केंद्र सरकार कुछ भी ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है।

कानून लाएगी केंद्र सरकार
वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली व एनसीआर से लगे इलाकों में पराली जलाने पर निगरानी और इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों के समन्वय के लिए समिति के गठन पर फिलहाल रोक लगा दी है।
यहां बता दें कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मदन बी लोकुर की नियुक्ति होनी थी। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार के आग्रह पर अपने 16 अक्तूबर के निर्णय पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य जज वाली पीठ ने मोदी सरकार द्वारा पाल्युशन से निपटने के लिए व्यापक कानून लाने का आश्वासन दिए जाने के बाद यह फैसला किया। अदालत ने कहा कि प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में बहुत परेशानी हो रही है। इस परेशानी का जल्द से जल्द समाधान किया जाना चाहिए और वायु प्रदूषण को काबू में किया जाना चाहिए। हालांकि पूर्व के अपने ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने एनसीसी, एनएसएस, स्काउट गाइड के मेम्बर्स को पराली जलाने की निगरानी में सहयोग को लेकर तैनात करने के निर्देश दिये थे। कहा गया था कि अदालत चाहती है दिल्ली व एनसीआर वासियों को साफ हवा में सांस लेने का पूरा अधिकार है।
उधर कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सेंटर इस मामले में गंभीरता से विचार कर रहा है। प्रदूषण पर अंकुश लगाने संबंधी कानून के मसौदे को चार दिन में कोर्ट में पेश किए जाने का आश्वासन भी तुषार मेहता ने दिया। उन्होंने कोर्ट के पिछले आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया।
कानून बनने में लग सकता है वक्त
केंद्र सरकार भले ही इस संबंध में कानून बनाने की बात कर रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में एक वर्ष लग सकता है। प्रदूषण रोकने को लेकर याचिका करने वाले के वकील विकास सिंह ने अदालत के समक्ष कहा कि कानून आने में एक साल का वक्त लग जाएगा।
अब देखना यह है कि क्या इस बार सरकार द्वारा वाकई में कोई गंभीर कदम उठाया जाता है या फिर हर साल की तरह राजनीति होती है।

