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विज्ञान और तकनीक के सहारे तेज़ प्रगति करने का चीनी फार्मूला- चीन में आयोजित दो सत्रों पर ध्यान

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अनिल आज़ाद पांडेय

बीजिंग चीन में अभी-अभी बेहद महत्वपूर्ण दो सत्रों का आयोजन हुआ। लगभग सप्ताह भर चले सत्रों के दौरान चीनी नेताओं ने आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विषयों के साथ-साथ कानूनी मामलों पर विचार विमर्श किया। इस दौरान चीन ने आर्थिक सुधारों पर जोर दिया, साथ ही खुलेपन का विस्तार करने की बात कही। वहीं वैज्ञानिक अनुसंधान, नवाचार, एआई और इंटरनेट के तेज़ विकास को लेकर सुझाव और प्रस्ताव पेश किए गए। जबकि चीन को प्रगतिशील और समृद्ध बनाने के लिए प्रयास जारी रखने पर भी फोकस किया गया। इसके अलावा चीनी स्टाइल के आधुनिकीकरण का स्वरूप विस्तृत करने के दौरान विज्ञान और तकनीक का नेतृत्व करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। चीन की राजधानी पेइचिंग में एनपीसी और सीपीपीसीसी का आयोजन किया गया। इन सम्मेलनों पर पूरे विश्व ने ध्यान दिया, खासतौर पर आर्थिक मसले पर सभी की नजर बनी रही। बता दें कि इस साल के ये दो सत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था के ढीलेपन और व्यापक संघर्षों के दौरान आयोजित हुए हैं। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में चीन ने विश्व को यह बताने की कोशिश की कि वह एक लीडर की भूमिका निभाने में सक्षम है। ध्यान रहे कि हर साल के सत्र के दौरान चीनी प्रधानमंत्री एक अहम रिपोर्ट पेश करते हैं। इस बार भी उन्होंने एनपीसी के समक्ष सरकारी कार्य रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें इस साल के लिए जीडीपी दर को 5 प्रतिशत पर निर्धारित करने का लक्ष्य रखा गया।

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आर्थिक विश्लेषकों ने कहा कि चीन का यह लक्ष्य उचित और संभावनाओं से भरा हुआ है। इसे हासिल करने में चीन को मुश्किल नहीं होनी चाहिए। चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा और चीनी राजनीतिक जन सलाहकार सम्मेलन के दौरान नवाचार और आर्टिफिशियल इंटलीजेंस को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया। साथ ही 6जी इंटरनेट, एआई मोबाइल और एआई कंप्यूटर के तेज विकास पर भी चीनी नेताओं ने चर्चा की। इस बीच चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कई बार तकनीकी नवाचार का उल्लेख किया। उन्होंने एनपीसी के प्रतिनिधियों और सीपीपीसीसी के सदस्यों के साथ तकनीकी नवोन्मेष पर गहन चर्चा की। जाहिर है कि तकनीकी और औद्योगिक नवाचार पर ध्यान देने से देश प्रगति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। जैसा कि हम जानते हैं कि हाल के वर्षों में चीन में तकनीक और एआई पर सरकार ने गंभीरता से काम किया है। इसके लिए भारी निवेश किया गया है, जिसका नतीजा हमने देखा है कि चीन एआई के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यहां चीनी कंपनी द्वारा विकसित ओपन एआई डीपसीक का उदाहरण देना होगा। डीपसीक ने चैट जीपीटी जैसे अत्याधुनिक एआई टूल्स को पीछे छोड़ दिया है। इस तरह चीन ने समूचे विश्व को आश्चर्य में डालने का काम किया है। एक ओर चैटजीपीटी को तैयार करने में अरबों डॉलर खर्च हुए, जबकि डीपीसीक बहुत कम खर्च में बन गया। कहना होगा कि चीन ने पश्चिमी देशों की बादशाहत को चुनौती देकर दुनिया के सामने एक नया विकल्प पेश किया है। गौरतलब है कि एनपीसी और सीपीपीसीसी नाम के इन दो सत्रों में लगभग पाँच हज़ार प्रतिनिधि और सदस्य शामिल हुए। जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री ली छ्यांग समेत कई बड़े नेताओं ने शिरकत की। अनिल पांडेय सीजीटीएन में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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