– अल्मोड़ा बाजार तक पहुंचने में खर्च हो जाती है आधी रकम
Report ring Desk
अल्मोड़ा। इन दिनों देश में टमाटर का भाव आसमान छू रहा है। टमाटर के भाव इतने बढ़ गए कि टमाटर आम आदमी की पहुंच से दूर होने लगा है। ऐसे में उन किसानों के चेहरे में टमाटर ने कुछ मुस्कान जरूर ला दी है जो टमाटर की खेती करते हैं। ऐसे ही एक किसान हैं केशर सिंह कार्की, जो टमाटर की खेती करते हैं। अल्मोड़ा जिले के विकासखण्ड धौलादेवी की ग्राम पंचायत चमुवा खालसा के रहने वाले केशर सिंह कार्की भी टमाटर के रेट बढऩे से खुश हैं। अभी उनके खेतों में टमाटर तैयार है, जिसका लाभ भी केशर सिंह कार्की को मिल रहा है। लेकिन वे बताते हैं कि उन्हें वह लाभ नहीं मिल पा रहा है जो भाव अभी बाजार में चल रहा है। इसके पीछे वह कारण भी बताते हैं।
केशर सिंह बताते हैं कि टमाटर के रेट बढऩे पर भी उन्हें उसका मुनाफा नहीं मिल पाता है। बचत नहीं हो पाने का कारण बताते हुए वे कहते हैं कि उनका घर अल्मोड़ा बाजार से 50 किमी की दूरी पर है। घर के आसपास कोई ऐसा बाजार नहीं है जहां उनके टमाटर को उचित दाम मिल सके। यही नहीं उनके घर तक पक्की सड़क भी नहीं है। ऐसे में बरसात के मौसम में टूटी फूटी कच्ची सड़क में वाहन चालक भी आने से कतराते हैं और किराया भी ज्यादा ले लेते हैं। जिससे उन्हे टमाटर बाजार तक ले जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। केशर सिंह बताते हैं कि अल्मोड़ा बाजार में उनके टमाटर सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक तो रहे हैं, लेकिन टैक्सी का किराया और घर से बाजार की ज्यादा दूरी होने के कारण उन्हें उतना मुनाफा नहीं मिल पा रहा है, जो अभी बाजार के नजदीक रहने वाले किसानों को मिल रहा है।
ग्राम पंचायत चमुवा के ग्राम प्रधान रह चुके केशर सिंह कार्की बताते हैं कि यदि उनके गांव तक पक्की सड़क हो जाती तो उन्हें अपने कृषि उत्पाद बाजार तक ले जाने में सुविधा रहती। वे बताते है कि उनके गांव तक सड़क तो बनी है लेकिन पक्ïकी सड़क नहीं बन पाने के कारण अधिकांशत: सड़क बाधित रहती है। बरसात के दिनों में मलबा आने और जगह जगह गड्ढे होने के कारण इस सड़क में वाहन चालक आने से कतराते हैं। ऐसे में उन्हें अपना सामान बेचने के लिए मुख्य सड़क तक ले जाने के लिए मजदूर लगाने पड़ते हैं, जिससे उन्हें जो मुनाफा मिलना चाहिए था नहीं मिल पाता है।
लॉक डाउन में घर आए और अपना ली खेती
केशर सिंह कार्की बताते हैं कि वे पहले चमुवा खालसा के ग्राम प्रधान रहे। उसके बाद वे नौकरी करने दिल्ïïली चले गए। वहां पर उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में काम किया, लेकिन कोरोनाकाल में लॉक डाउन लगने के कारण वे घर आ गए और उन्होंने अपनी पुस्तैनी खेती करना शुरू कर दिया। केशर सिंह बताते हैं कि वे टमाटर के अलावा अदरक, गोभी, खीरे, शिमला मिर्च, तोरई, लौकी, ककड़ी, गडेरी का उत्पादन भी करते हैं। उनके इस काम में उनके बच्चे भी हाथ बंटाते हैं। केशर सिंह बताते हैं कि वे अपनी मेहनत से की गई खेती करके खुश हैं। यह पूछने पर कि क्या उन्होंने कहीं से कृषि कार्य का कोई प्रशिक्षण लिया? तो वे बताते हैं कि उन्होंने आसपास के किसानों से खेती करना सीखा और उसी को अपनाया। टमाटर और अन्य सब्जियों का बीज वे कृषि विभाग से खरीदकर लाते हैं।
टमाटर ही नहीं अदरक, लहसून और धनिया भी लहलहाता है केशर के खेतों में
केशर सिंह के खेतों में टमाटर के अलावा अदरक, लहसून, धनिया, पत्ता गोभी, फूल गोभी, प्याज, खीरे, ककड़ी, तोरई, लौकी, शिमला मिर्च भी लहलहाते हुए देखी जा सकती है। केशर सिंह कहते हैं कि कृषि कार्य में मेहनत तो काफी है, बेमौसम बारिश और कभी कभी आंधी तूफान या ओलावृष्टि से भी उनकी खेती को नुकसान पहुंचता है। सरकार की ओर से अभी तक ऐसा कोई लाभ नहीं मिल पाया है। फिलहाल वे अपनी मेहनत से कृषि कार्य करके सब्जियों की पैदावार को बढ़ाने में लगे हुए हैं।