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सोशियल साइट्स के यूट्यूब चैनल में लोगों को खूब भा रहे हैं लीला के गीत

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अपनी आवाज का जादू बिखेर रही हैं लीला-मधु

Report ring Desk

अल्मोड़ा। बात जब पहाड़ की होती है, तो तब बात वहां की संस्कृति, रीति-रिवाज और परम्पराओं की भी होती है। पहाड़ की संस्कृति को पहचान दिलाने में यहां के लोक कलाकारों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आधुनिक युग में पहाड़ के कई कलाकार अपनी पहचान देश-दुनिया तक बना चुके हैं। सोशियल मीडिया के इस युग में यूट्यूब, फेसबुक लाइव, इंस्ट्राग्राम ने कई कलाकारों को पहचान दिलाई है। गायकी की यदि बात की जाए तो पहाड़ के ऐसे कई कलाकार उभरकर आ रहे हैं जो बड़े-बड़े मंचों में अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। इसी पहाड़ की वादियों से ही सुप्रसिद्ध गायक पवनदीप राजन सरीखे कलाकार भी निकलकर आए, जिनकी गायकी का जादू देश-दुनिया ने देखा। ऐसे ही कई अन्य लोक गायक आजकल अपनी आवाज का जादू बिखेर रहे हैं। इन्हीं लोकगायकों में एक नाम है लीला बिष्ट। जनपद अल्मोड़ा के भिकियासैड स्थित नौला गांव की लीला बिष्ट भी आजकल सोशल मीडिया साइट्स यूट्यूब पर अपनी आवाज का जादू बिखेर रही हैं।

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लीला बिष्ट भी पहाड़ की एक उभरती कलाकार हैं, जिनके लोक गीतों को खूब पसंद किया जा रहा है। लीला कुमाउनी-गढ़वाली दोनों भाषाओं में गाती हैं। कुमाउनी झोड़ा-चांचरी, न्योली के साथ-साथ लीला बिष्ट भजन गायकी में भी अपनी सुरीली आवाज से लोगों का मन मोह लेती हैं। भिकियासैड़ से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद लीला ने स्याल्दे से गे्रजुएशन किया। पढ़ाई के साथ-साथ पहाड़ की संस्कृति भी उनके रग रग में रची बसी थी। वे गायकी में अपना आदर्श स्व. श्री हीरा सिंह राणा को मानती हैं। सुप्रसिद्ध गायक रहे गोपाल बाबू गोस्वामी के गीत भी वह बचपन से गुनगुनाती आई है। लीला बाताती है कि हीरा सिंह राणा जी के साथ उन्हें कई स्टेज प्रोग्राम करने का अवसर मिला। इन दोनों कलाकारों को वह अपना आदर्श मानती हैं।

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लीला बिष्ट अभी उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून में रहती हैं। यों तो उन्हें गाने और डांस का शौक बचपन से था। अपने स्कूल के दिनों में भी वह विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेती थी। लीला बताती हैं कि उन्हें पहली पर स्टेज प्रोग्राम करने का मौका बरेली में मिला था। शादी के बाद उनके पति ने भी उनकी इस कला को पहचाना और उन्हें इसके लिए प्रेरित किया। वह बताती हैं कि उनके पतिदेव आईटीबीपी में कार्यरत हैं, तब वे बरेली में रहती थी। वहां उसे पहली बार स्टेज कार्यक्रम का मौका मिला, जिसमें उन्होंने अपनी आवाज से लोगों का दिल जीत लिया। गायकी के साथ ही लीला को डांस विधा में भी काफी रुचि है। वह बताती हैं कि इस कार्य के लिए उन्हें परिवार का बहुत साथ मिला, खासकर उनके पति ने उनका मनोबल बढ़ाया। यहां तक कि उनके ससुर जी ने भी उनका हौंसला बढ़ाया। वह बताती हैं कि एक बार उनको एक कार्यक्रम में जाना था तब उनके ससुर भी वहां आए थे, लेकिन ससुर जी के सामने उसे इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए झिझक लग रही थी। लेकिन सुसर जी ने उनका हौंसला बढ़ाया और वे खुद कार्यक्रम को देखने आए। परिवार का साथ मिलने से उनकी कला और आवाज में और निखार आया। धीरे धीरे कार्यक्रमों में भाग लेने के साथ ही वे बदलते समय के साथ ही यूट्यूब और सोशल साइट्स पर भी अपनी कला का शानदार प्रदर्शन करने लगी हैंं। अपने भजन गायकी व कुमाउनी-गढ़वाली लोक गीतों में उनकी जोड़ीदार बनी हैं रुद्रप्रयाग की मधु बेजवाव। लीला और मधु की जोड़ी ने कई ऐसे खूबसूरत गाने गाए हैं जिन्हें सुनकर हर किसी का दिल खुश हो जाता है। आप भी देखिए लीला बिष्ट का यूट्यूब चैनल। देखने के लिए इस लिंक को दखें-

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