By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
कहते हैं कि भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है, और यह बात केसिंगा अंचल वासियों के लिये सौ फ़ीसदी खरी उतरती है। कहाँ तो एक रेलवे अण्डरब्रिज के लाले पड़े हुये थे और जब सरकारों की नज़र मेहरबान हुई तो अण्डरब्रिज के साथ-साथ रेलवे ओवरब्रिज भी झोली में डाल दिया। इसे कहते हैं दोहरी खुशी। जब से अण्डरब्रिज के बाद ओवरब्रिज निर्माण की घोषणा हुई है, यहाँ जश्न का सा माहौल बन गया है।
वास्तव में, केसिंगा होकर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 26 के दिनों-दिन अत्यधिक व्यस्त होने के कारण यहां की यातायात व्यवस्था काफी बोझिल हो गयी थी, विशेषकर स्थानीय रेलवे लेवल क्रॉसिंग पर फाटक के बार-बार बन्द होने पर समस्या अधिक जटिल प्रतीत होने लगी थी। आलम यह था कि रेलवे फ़ाटक बन्द होने की स्थिति में आपात चिकित्सा हेतु ले जाये जा रहे मरीज़ एम्बूलेंस में ही दम तोड़ देते थे। तभी वर्ष 2016 में समस्या के स्थायी समाधान हेतु कोई 206 करोड़ की लागत से केसिंगा में एक रेलवे ओवरब्रिज के साथ-साथ रेलवे अण्डरब्रिज को भी मंज़ूरी दी गयी, परन्तु परियोजना हेतु आवश्यक भूमि-अधिग्रगण में अत्यधिक विलम्ब के चलते उसकी मियाद ख़त्म हो गयी एवं मामला फिर से अधर में लटक गया। इस बीच परियोजना ख़र्च में भी साठ करोड़ की वृद्धि हो चुकी थी।
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क्योंकि रेलवे फ़ाटक बन्द होने की स्थिति में एम्बूलेंस एवं छोटे वाहनों का पास होना बेहद ज़रूरी समझा गया, अतः फ़ौरी तौर पर एक रेलवे अण्डरब्रिज निर्माण की मांग ने ज़ोर पकड़ा एवं जनवरी-फ़रवरी 2020 में इसके लिये 24 दिनों तक नागरिकों द्वारा निर्णायक आन्दोलन चलाया गया, जिसके परिणाम स्वरूप अगस्त 2020 में ओड़िशा शासन द्वारा दस करोड़ के अनुदान को मंज़ूरी दे दी गयी। यह मंज़ूरी लोगों के लिये किसी मुराद के पूरा होने जैसी थी।
राष्ट्रीय राजमार्ग 26 पर बढ़ते यातायात के मद्देनज़र रेलवे ओवरब्रिज का होना भी बेहद ज़रूरी था, अतः वह मांग भी बनी हुई थी। इस बार यह श्रेय ओड़िशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रदीप्त कुमार नायक के खाते में जाता है, क्योंकि उन्हीं के पत्र के उत्तर में केन्द्रीय भूतल परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी द्वारा बढ़े हुये ख़र्च के साथ रेलवे ओवरब्रिज हेतु 292.45 करोड़ की राशि स्वीकृत किये जाने की घोषणा की गयी है।
केन्द्रीय मंत्री प्रताप षडंगी द्वारा भी इसमें ख़ास रुचि लिये जाने का समाचार है। वैसे इस बारे में मंत्री प्रताप षडंगी द्वारा किये गये ट्वीट से लोगों में कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी, जिसमें तहँसीर से जोलको बायपास पर ओवरब्रिज निर्माण का ज़िक्र किया गया था। बाद में राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के निर्वाही अभियंता प्रदीप सामंतराय ने स्पष्ट किया कि पुरानी रूपरेखा के मुताबिक बलांगीर की ओर स्थित चेक-गेट से लेकर इण्डियन ऑयल पेट्रोल पंप के बीच ही कहीं ओवरब्रिज एवं रास्ता निर्मित होगा। विभागीय सूत्रों का यह भी कहना है कि ओवरब्रिज हेतु 3-जी सर्वेक्षण एवं अधिसूचना पहले ही ज़ारी हो चुकी थी, अतः परियोजना के प्रारूप में कोई अन्तर नहीं आयेगा।
यदि वर्ष 2016 में बढ़े परियोजना ख़र्च साठ करोड़ रुपये राज्य सरकार वहन करने को राजी हो जाती, तो ओवरब्रिज चार साल पहले ही बन कर तैयार हो जाता। वैसे ओवरब्रिज परियोजना की मियाद समाप्ति के बाद भी उसके स्थान निर्धारण एवं अनुदान को लेकर प्रदेश एवं केन्द्र के बीच खींचतान निरन्तर बनी रही और अंततोगत्वा केन्द्र द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुये ओवरब्रिज हेतु नये सिरे से अनुदान को स्वीकृति प्रदान की गयी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ओवरब्रिज हेतु वर्तमान में कुल सौ लोगों को बयालीस एकड़ भूमि छोड़नी होगी और यह ओवरब्रिज कोई साठ मीटर चौड़ा होगा। ओवरब्रिज हेतु केन्द्र सरकार द्वारा 292.45 करोड़ अनुदान राशि घोषित किये जाने का स्वागत करते हुये नेता प्रतिपक्ष प्रदीप्त नायक ने इसे लम्बे समय से चली आ रही लोगों की एक अहम मांग का पूरा होना बतलाया है। उन्होंने कहा अब बायपास के लिये भी और अनुदान की केन्द्र से मांग की जायेगी।
सांसद बसन्त पंडा ने अपनी प्रतिक्रिया में खरियार एवं केसिंगा ओवरब्रिज का शुरू ही से केन्द्र की प्राथमिकता सूची में होना बतलाया। चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज, केसिंगा अध्यक्ष अनिल कुमार जैन, क्रियानुष्ठान समिति अध्यक्ष देवेन्द्र भुजबल, नागरिक सचेतन मंच अध्यक्ष चित्तरंजन भोई, संगठक सुरेश राव, पूर्व पालिका अध्यक्ष सरिता सिन्दूर एवं केसिंगा सिटीजन फोरम अध्यक्ष डॉक्टर हेमसागर साहा तथा वृन्दावन सांस्कृतिक अनुष्ठान अध्यक्ष अक्षय दास आदि ने ओवरब्रिज हेतु केन्द्रीय अनुदान को दोहरी खुशी प्रदायक करार दिया गया है।
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