Report ring Desk
नई दिल्ली। अक्सर हम पीठ के दर्द को अनदेखा कर देते हैं । पीठ का दर्द अधिक तकलीफदेह हो सकता है। इसलिए समय रहते रीढ़ के ऊतको को जांचना और उपचार के लिए जागरूकता की जरूरत है।
मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल साकेत के प्रिंसिपल डायरेक्टर और हैड न्यूरोसर्जरी डॉ बिपिन एस वालिया ने बताया कि यह एक ग़लत तथ्य है कि पीठ के दर्द को लंबे समय तक आराम और गतिविधि की जरूरत नहीं है। सामान्य शारीरिक गतिविधि दर्द को दूर करने में मदद कर सकती है। स्वस्थ रहना, स्पाइन की नियमित खिंचावट, एरोबिक स्थिति गतिविधि जैसे योगा, स्विमिंग, हल्के वजन और चलने की जरूरत होती है। बिना शारीरिक गतिविधि के मांसपेशी कमजोर हो जाती है और हालात के बाहर होने पर पीठ के दर्द और चोट की ओर बढ़ती है।
रीढ़ की देखभाल करने सेे पीठ के दर्द का कम किया जा सकता है। नियमित अभ्यास करने से शारीरिक गतिविधियां बेहतर रहती हैं और व्यक्ति के चलने का तरीका, दैनिक कार्यों को करने और अन्य गतिविधियों को करते रहने से रीढ़ की चोट की संभावना को कम किया जा सकता है।
डॉ वालियाका कहना है कि स्पाइनल डिजनरेशन उम्र बढऩे की प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है और अधिकांश रोगियों में कोई लक्षण नहीं हो सकते हैं या पीठ के निचले हिस्से में हल्की परेशानी हो सकती है। दूसरों में यह उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने के लिए काफी गंभीर हो सकता है और कुछ चलने में भी सक्षम नहीं हो सकते हैं। वृद्धावस्था में रीढ़ की हड्डी में सबसे आम समस्या स्टेनोसिस या रीढ़ की हड्डी की जगह का संकुचित होना है, जो रीढ़ की नसों को संकुचित करती है। यह नितंबों, जांघ या पैर में दर्द करने लगता है जो खड़े होने या चलने फिरने में हो सकता है। कुछ मामलों में रोगी पैरों में दर्द और कमजोरी की शिकायत करता है।
अधिकतर मामलों में सिम्टोमतिक रोगियों जिनमें स्पाइनल डिजनरेशन विकार है उन्हें सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। इसमें रोगी शारीरिक गतिविधियों के साथ जीवन शैली में बदलाव करके और फिजियोथेरेपी से इसे ठीक कर सकते हैं। सर्जरी की जरूरत ऐसे मरीजों को पड़ सकतीहै जिनके शारीरक अंगों में कमजोरी, और चिकित्सा उपचार के बाद भी गंभीर दर्द बना रहता हो। स्पाइन सर्जरी सुरक्षित है।


