By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
जहाँ एक ओर कोरोना महामारी के चलते लोग आर्थिक बदहाली से बुरी तरह त्रस्त हैं, वहीं बाज़ार में साग-सब्जियों जैसी राज़मर्रा की वस्तुओं की क़ीमतें भी आसमान छू रही हैं, ऐसे में आम आदमी का जीना दूभर हो गया है। वर्तमान में लोगों को सर्वाधिक प्याज़ रुला रहा है, क्योंकि सामान्य स्थिति में दस से पन्द्रह रुपये किलो के भाव मिलने वाला प्याज़ अब सत्तर से अस्सी रुपये में बिक रहा है।
यह कहना ग़लत न होगा कि स्थिति के चलते आम आदमी प्याज़ ख़रीदना ही भूल गया है। बाज़ार पर नियंत्रण न होने के कारण सभी सब्जियों के साथ घुल-मिल जाने वाला आलू का भाव भी शिखर पर है एवं दस रुपये में मिलने वाला आलू अब चालीस-पचास में बिक रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हाल और भी बुरा है।
परवल साठ रुपये किलो, फूल-गोभी अस्सी से सौ, भिंडी साठ, अरबी साठ से अस्सी, टमाटर पचास, बीन्स अस्सी, झूँगा साठ, लहसून एक सौ बीस, अदरक सौ से एक सौ बीस, बैंगन चालीस से पचास, पेठा चालीस से पचास, यहां तक कि भाजी का भी हिसाब लगाया जाये, तो चालीस से पचास रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है।
सब्जी के भावों में इस बेतहाशा वृध्दि के कारणों की चर्चा में सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि इस साल बेमौसम हुई बारिश का सब्जी की पैदावार पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिसके चलते स्थानीय लोगों को पड़ौसी प्रदेश एवं ज़िलों से आयातित सब्जी पर निर्भर रहना पड़ रहा है। उन्होंने आशा जताई है कि आने वाले एक माह में स्थिति में सुधार आ जायेगा, जब स्थानीय तौर पर उत्पादित सब्जियां बाज़ार में उपलब्ध होने लगेंगी।