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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद वैश्विक नेताओं द्वारा “अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव: वैश्विक शासन पोस्ट COVID -19” थीम पर 24 सितंबर को एक वीडियो कांफ्रेंसिंग का आयोजन किया गया। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के विशेष दूत के रूप में स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने सम्मेलन में भाग लिया।
इसके साथ ही चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में विदेश मंत्रियों के एशिया में इंटरेक्शन एंड कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स(CICA) की विशेष बैठक में भी शिरकत की।
इस दौरान उन्होंने COVID-19, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थितियों, विभिन्न क्षेत्रों में CICA सहयोग व वैश्विक प्रयासों पर प्रतिनिधिमंडल के अन्य प्रतिनिधियों के साथ व्यापक चर्चा की।
चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ने तथ्यों की अवहेलना की और झूठ गढ़े। इसके साथ ही अमेरिकी नेताओं ने अपने राजनीतिक हितों के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल चीन के खिलाफ निराधार आरोप लगाने के लिए किया। चीन इन झूठे आरोपों का सख्ती से विरोध करता है। चीन मानता है कि इस तरह की हरकतों से साफ होता है कि एकतरफावाद और धमकाने की कार्रवाई दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
क्योंकि झूठ किसी भी तरह से सच्चाई का रूप नहीं ले सकता। पूरी दुनिया जानती है कि कोविड-19 से निपटने में चीन ने किस तरह की मुस्तैदी दिखाई है। लोगों को यह बात समझ में आ चुकी है।
जैसा कि हम जानते हैं कि कोरोनोवायरस मानव जाति का समान दुश्मन है। चीन महामारी का शिकार हुआ है और इसके खिलाफ वैश्विक लड़ाई में चीन ने अपना योगदान दिया है।
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इतना ही नहीं चीन ने विश्व को महामारी की सूचना दी, पैथोज़न की पहचान की और अपने जीनोम अनुक्रम को दुनिया के साथ जल्द से जल्द साझा किया।
जैसे ही कोरोना वायरस के मानव-से-मानव में संक्रमण की पुष्टि हुई तो चीन ने तुरंत वूहान से सभी निकासी मार्गों को बंद करने का दृढ़ निर्णय लिया। चीन ने हूबेई प्रांत में सख्ती से प्रबंधन किया, ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके।
चीन के सीमा शुल्क अधिकारियों ने तुरंत कानून के अनुसार, चीनी लोगों के विदेश यात्रा पर पाबंदी लगायी और संदिग्ध लोगों की पहचान के लिए हरसंभव कोशिश की।
गौरतलब है कि जब चीन ने 23 जनवरी को वुहान से बाहर निकलने के चैनलों को बंद किया, तो चीन के बाहर केवल नौ पुष्ट मामलों की पहचान हुई थी, जिनमें से केवल एक अमेरिका में था। 31 जनवरी को, अमेरिका ने चीन के साथ सीधी उड़ानें बंद की। और जब अमेरिका ने 2 फरवरी को सभी चीनी नागरिकों के लिए अपनी सीमाएं बंद की, तब तक अमेरिका में केवल एक दर्जन मामले सामने आए थे।
चीन की महामारी की प्रतिक्रिया हर तरह से खुली और पारदर्शी रही है। समय रेखा स्पष्ट है, और तथ्य और आंकड़े खुद इसके गवाह हैं।
COVID-19 से संबंधित मुद्दों पर अमेरिका चीन को बार-बार बदनाम करने और बेवजह आरोप लगाने की कोशिश करता रहा है। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं अमेरिका मनमाने ढंग से WHO से बाहर निकला। अमेरिका के इस रवैये ने वैश्विक विरोधी महामारी सहयोग को खतरे में डाल दिया है, जो लोगों के हित में नहीं है और अमेरिका नागरिकों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
अब अमेरिका को चाहिए कि वह राजनीतिक खेल खेलना बंद करे। क्योंकि बिना किस सबूत के वायरस के प्रसार का आरोप लगाना और राजनीति करने से पूरी दुिनया को नुकसान होगा। अमेरिका को वैश्विक लड़ाई में शामिल होना चाहिए, ताकि महामारी के प्रकोप को जल्द से जल्द रोका जा सके।
जलवायु परिवर्तन से निपटने में चीन का योगदान
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी तथ्य स्पष्ट हैं। चीन ने अपने विकास और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को सक्रिय रूप से पूरा किया है, और नीतियों और कार्यों की मेजबानी की है। हमने अपने 2020 के जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को समय से पहले हासिल किया है, जो कि जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया में एक बड़ा योगदान है।
चीन की कुल ऊर्जा खपत में गैर-जीवाश्म ईंधन का अनुपात लगभग 15 प्रतिशत पहुंच गया है। चीन में अक्षय ऊर्जा विश्व की स्थापित क्षमता का 30 प्रतिशत है। इस तरह चीन व्यापक योगदान दे रहा है। इतना ही नहीं साल 2000 के बाद से दुनिया भर में वनीकरण क्षेत्रों में चीन का 25 फीसदी हिस्सा रहा है।
चीन अपने राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान लक्ष्यों को अद्यतन करेगा और बढ़ाएगा, और मजबूत नीतियों और उपायों को पेश करेगा। चीनी नेता ने कहा कि हम 2030 से पहले CO2 उत्सर्जन और 2060 से पहले कार्बन तटस्थता के चरम पर पहुंचने के लिए प्रयास करेंगे। इस तरह के उद्देश्य संयुक्त प्रयासों के माध्यम से एक जीवंत, स्वच्छ और सुंदर दुनिया के चीन के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं और मानव जाति के लिए साझा भविष्य के साथ एक समुदाय को बढ़ावा देने के लिए इसकी प्रतिबद्धता है।
चीन वैश्विक जलवायु शासन में एक सक्रिय भाग लेता है। चीन UNFCCC के पहले हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है और क्योटो प्रोटोकॉल, पेरिस समझौते और संबंधित कार्यान्वयन दिशानिर्देशों के निष्कर्ष में चीन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
चीन और अन्य सहयोगियों के ठोस प्रयासों के कारण, मैड्रिड में 2019 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कई फैसले लिए गए, जिसमें बहुपक्षवाद के लिए प्रतिबद्धता और जलवायु शासन पर सभी पक्षों के बीच सहमति, अनुवर्ती वार्ताओं के लिए आधार तैयार करना शामिल है। इसके विपरीत, अमेरिका ग्रीनहाउस गैसों के दुनिया के सबसे बड़े उत्सर्जक होने के बावजूद अपनी ज़िम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहा है।