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शब्द का सही अर्थ जाने बगैर लोग करते हैं शोर-शराबा: मोरारी बापू

‘बड़े भाग मानुष तन पावा’

Report ring Desk

नई दिल्ली। हिंदुत्व शब्द को लेकर आजकल मचे राजनीतिक कोहराम पर इस शब्द का गलत इस्तेमाल करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए रामकथा वाचक सन्त मोरारी बापू ने कहा कि शब्द का सही अर्थ जाने बगैर लोग आज इस पर शोर-शराबा कर रहे हैं।

दिल्ïली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में ‘मानस साधु चरित मानस’ शीर्षक से रामकथा करते हुए कथा प्रसंग के दौरान मोरारी बापू ने हिंदुत्व शब्द न कहकर सिर्फ त्व शब्द का इस्तेमाल करते हुए इशारे से कहा कि आजकल त्व शब्द को लेकर बहुत सिर-फुटौव्वल की जा रही है जबकि वे लोग इसका सही अर्थ तक नहीं जानते। किसी बात को इतने बड़े स्तर पर उठाने से पहले उसका सही अर्थ और तात्पर्य जान लेना चाहिए।

हिंदुत्व शब्द के अर्थ का अनर्थ करने वालों को समझाते हुए उन्होंने पूछा कि क्या सन्त और संतत्व भिन्न हैं। संतत्व यानि सन्तपना वैसे ही दूसरी जगह भी त्व का अर्थ है। मनुष्य तो बन गए पर मनुष्यत्व यानी मनुष्यपना आया कि नहीं? किसी अभावग्रस्त पर रहम किया या नहीं? किसी की मदद की या नही। किसी भूखे का पेट भरा कि नहीं। मंदिर में देवता के दर्शन भले ही न कर पाओ, कोई बात नहीं। देवता या भगवान तो कहीं भी मिल सकता है। बस, वहां उसे पहचान कर उसकी मदद करने की बात है। यही मनुष्यत्व का नाता है। यही धर्म है। इसी भाव से ओतप्रोत रहना चाहिए। इसी वजह से कहा गया है कि मनुष्य जन्म बड़ा दुर्लभ है। बड़े भाग मानुष तन पावा। यही विशुद्ध प्रेम है, रामभक्ति है, मनुष्यत्व है।

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