By Suresh Agrawal, Kesinga, Odisha
ज़िला आपूर्ति विभाग तथा मिलर्स के बीच शुरू हुई पारम्परिक खींचतान के चलते खरीफ़ की धान ख़रीदी प्रभावित होने के साथ-साथ किसानों की परेशानी बढ़ने के भी स्पष्ट संकेत नज़र आने लगे हैं। गत मंगलवार 20 अक्तूबर को आयोजित धान क्रय एवं चावल संग्रहण सम्बन्धी बैठक में एक भी मिलर्स का उपस्थित न होना इसका प्रमाण है। ज़िला आपूर्ति विभाग द्वारा मिलर्स से सम्पर्क न रखना अथवा उनकी समस्याओं पर तवज्जो न देना ही इस नाराज़गी अथवा बैठक बहिष्कार का मुख्य कारण बतलाया गया है। इतना ही नहीं, मिलर्स द्वारा आपूर्ति विभाग के असहयोगपूर्ण रवैये को लेकर ज़िलाधीश को पत्र भी लिखा गया है। दूसरी ओर विभिन्न किसान संगठनों द्वारा भी मिलर्स के रवैये से उन्हें होने वाली परेशानी पर चिन्ता ज़ाहिर की गयी है।
समस्या के पीछे की कहानी यह है कि धान ख़रीदी हेतु आपूर्ति विभाग द्वारा मिलर्स को नया बारदाना उपलब्ध कराया जाना चाहिये, परन्तु आलम यह है कि गत वर्ष की धान ख़रीदी के चावल संग्रहण प्रक्रिया भी समाप्ति पर है, परन्तु विभाग अब तक बारदाना उपलब्ध कराने में नाक़ामयाब रहा है। मिलर्स के अनुसार पिछले साल की धान ख़रीदी प्रक्रिया के बाद कोई आठ लाख बोरा बाक़ी था। दूसरी ओर किसानों का आरोप है कि मिलर्स स्वयं बारदाना देने के एवज में उनसे धान ख़रीदी में मनमाने ढ़ंग से कटनी-छटनी करते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गत वर्ष की धान ख़रीदी की अवधि समाप्ति में महज़ ग्यारह दिन शेष हैं, परन्तु मिलर्स पर कस्टम मिलिंग मद का कोई तीस करोड़ रुपया बकाया है। मिलर्स के अनुसार ज़िला आपूर्ति अधिकारी द्वारा उनके साथ तालमेल न रखा जाना ही समस्या का मूल कारण है।
जहां एक ओर प्रशासन द्वारा 31 अक्तूबर तक कस्टम चावल बकाया रखने वाले मिलर्स के लिये चालू खरीफ़ मौसम में धान ख़रीदी में भाग न लेने देने सम्बन्धी निर्देश ज़ारी किया गया है, वहीं दूसरी ओर विभाग स्वयं भी बारदाना उपलब्ध करा सकने अथवा चावल संग्रहण हेतु आदेश देने में हिचक रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में मिलर्स पर कोई दो लाख क्विंटल चावल बकाया है। ज़िला आपूर्ति विभाग तथा मिलर्स के बीच ज़ारी विवाद के चलते मिलर्स द्वारा चावल संग्रहण में अधिकारियों पर भेदभाव बरते जाने का आरोप भी लगाया जा रहा है।
कालाहाण्डी ज़िले में इस बार धान की बम्पर फ़सल होने के आसार हैं एवं अनुमान लगाया गया है कि धान की उपज एक करोड़ क्विंटल से अधिक होगी। अभी तक कोई चौरासी हज़ार किसान धान बिक्री हेतु अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। इस पर भी नाराज़ मिलर्स का कहना है कि यदि सरकार अपनी वर्तमान नीति में आवश्यक बदलाव कर समस्या का समाधान नहीं करती है, तो वे भी धान ख़रीदी में सहयोग नहीं करेंगे।
किसान भी चाहते हैं कि समय रहते समस्या का समाधान किया जाये, अन्यथा खामियाज़ा किसानों को ही भुगतना पड़ेगा। किसानों का यह आरोप भी है कि प्रतिवर्ष धान ख़रीदी अथवा चावल संग्रहण पर होने वाली बैठक में भी उन्हें समुचित प्रतिनिधित्व करने का मौक़ा नहीं दिया जाता एवं चंद अधिकारी एवं चुनिन्दा प्रतिनिधि ही मिलकर नीति निर्धारित कर लेते हैं। इस प्रकार वह बैठक भी बेमानी हो जाती है।
इस परिप्रेक्ष्य में ज़िला आपूर्ति अधिकारी अशोक दास से फ़ोन पर सम्पर्क साधने की कोशिशों के बावज़ूद उनका फ़ोन अनुत्तरित रहता है। अलबत्ता, इस पूरे प्रकरण पर ओड़िशा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रदीप्त नायक ने अपनी प्रतिक्रिया में इतना अवश्य कहा है कि – वो जो ख़ास हैं, उन्हें तो बैठक में बुलाया ही नहीं गया। यदि आपूर्ति विभाग द्वारा मिलर्स समस्या का ज़ल्द ही कोई समाधान नहीं किया गया, तो मुश्किलें पेश आयेंगी एवं कुल मिलाकर किसान ही परेशान होगा।