By C.S Karki
बेरीनाग, पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट तहसील में स्थित है झलतोला गॉव। गॉव से लगभग दो किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है लम्केश्वर महादेव। पूरा क्षेत्र बॉझ के सघन वनों से अच्छादित है। कई प्राकृतिक जल स्रोतों का भण्डार है यहां पर। जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संबंधी कारणों से ये जलस्रोत सदाबहार नहीं रहते। बरसात के मौसम में तो ये जलस्रोत पानी से भरे रहते हैं लेकिन गर्मी आते ही ये सूखने लगते हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों ने कृत्रिम झील की परिकल्पना की। इस वन क्षेत्र में एक जलाशय जो आसपास के सभी स्रोतों को संरक्षित कर सके और समीपवर्ती गॉवों में जलापूर्ति भी हो पाए इस परिकल्पना पर झलतोला झील बन गई।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजेन्द्र बोरा ‘शिवजी’ की परिकल्पना एवं मनरेगा से प्राप्त धन व जन सहयोग से निर्मित ग्रामीण विकास की एक सुन्दर तस्वीर है झलतोला झील। यह झील, सीमित संसाधनों में सामान्य जन परिकल्पना के प्रतिफल का एक शानदार उदाहरण है। इस परियोजना के लिए सामान्य सोच यही रही कि वन क्षेत्र तथा निकटवर्ती गॉवों में जल स्रोतों को पुर्नजीवित कैसे किया जाए? जो स्रोत मौसमी थे उन्हें सदाबहार स्रोतों में कैसे बदला जाए? वन क्षेत्र अपने आप में जल भण्डारण ही होता है। यदि सम-विषम मौसमी परिस्थितियों में क्षेत्र में संरक्षित जल का भंडार हो तो यह एक प्रयोगशाला की तरह पारिस्थितिकी को संतुलित करती है।
अक्सर मनरेगा आधारित काम छुटपुट एवं ठोस परिणामदायी नहीं होते हैं। इस प्रकार के कार्यो की गुणवत्ता भी हमेशा सवालों के घेरे में रहती है। लेकिन मनरेगा के अंतर्गत लम्केश्वर महादेव की भूमि में जल संरक्षण के लिए सुन्दर कृत्रिम झील का निर्माण प्रशंसनीय तो है ही साथ ही प्रेरणादायी भी है। इस सुन्दर झील के निर्माण से ग्रामीणों को रोजगार तो मिला ही साथ ही चिरस्थायी जल भंडार भी मिल गया।
साथ ही समीपवर्ती गाँवों के जलस्रोतों को जीवन मिलने की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। यह परियोजना मनरेगा आधारित सभी योजनाओं के लिए एक शानदार उदाहरण है। हर योजना का दीर्घकालीन फलित प्रभाव जनजीवन पर पडऩा चाहिए। ग्रामीणों को रोजगार, प्राकृतिक छटा में अभिवृद्धि, हरियाली में निरंतरत बढ़ोत्तरी के साथ पेयजल आपूर्ति निर्बाध रखने वाली यह योजना निश्चित ही आगन्तुकों को आकर्षित करने लगी है। स्पष्ट है कि यदि सद्इच्छा हो तो लीक से हटकर बहुत सकारात्मक किया जा सकता है। मनरेगा का सद््पयोग है यह झील।
इस कल्पना को साकार रूप देने के लिए पहले निचले स्तर के अधिकारियों को विश्वास में लिया गया, इसके बाद जिला विकास अधिकारी की सहमति से झील का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। इस कार्य में हिमालयन ग्राम विकास समिति का भी सहयोग रहा।
हिमालयन ग्राम विकास समिति क्षेत्र में जल संरक्षण के कार्यो में बहुत सक्रिय है। समिति ने परियोजना के डिजायन व परिकल्पना को यथार्थ रूप देने का भरोसा अधिकारियों को दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक विकास को राह दिखाता यह प्रोजेक्ट स्पष्ट करता है कि यदि थोड़ी सी दृष्टि जनहित में तो क्षेत्र विकास का सामान्य प्रतिनिधि भी गाँव, परिस्थितिकी, जल व वन सब में सामंजस्य स्थापित करते हुए सरकारी धन का सद्पयोग करवा सकता है और सभी सामाजिक संगठनों एवं सामान्य जनों का सहयोग प्राप्त कर सकता है।