Chinese economy

Interview: चीनी इकॉनमी से क्या उम्मीदें हैं विशेषज्ञों को ?

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चीन ने पिछले साल महामारी की चुनौतियों के बावजूद शानदार प्रदर्शन किया। जीडीपी में हुई सकारात्मक वृद्धि से स्पष्ट रूप से ऐसा जाहिर हुआ है। इसके साथ ही हाल के महीनों में आयात-निर्यात में इजाफा भी दुनिया के लिए एक अच्छा संकेत है। चीन-भारत मामलों के जानकार, एस.के. कालरा ने सीएमजी के वरिष्ठ पत्रकार अनिल पांडेय के साथ इंटरव्यू में चीनी अर्थव्यवस्था व अन्य मुद्दों पर विस्तार से अपनी राय रखी।

कालरा के अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था ने सकारात्मक वृद्धि हासिल की है, कोरोना महामारी के दौरान हमने चीनी जीडीपी की स्थिति देखी। जबकि इस साल 6 प्रतिशत वृद्धि दर का लक्ष्य रखा गया है, जो एक अच्छी खबर है। इतना ही नहीं चीन के निर्यात के आंकड़े भी उम्मीद जगाने वाले हैं, क्योंकि इस वर्ष के जनवरी-फरवरी में पिछले साल के मुकाबले 60 फीसदी का उछाल देखा गया है। मुख्यतः निर्यात मेडिकल उपकरण आदि को लेकर रहा है, जिसमें मास्क भी शामिल हैं। वहीं आयात में तीस प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।

जबकि 14वीं पंचवर्षीय योजना में विनिर्माण क्षेत्र को तवज्जो देने पर ज़ोर दिया जा रहा है। पहली बार चीन ने इस संबंध में दस्तावेज जारी किया है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग फ़ील्ड की क्वालिटी सुधारने की बात की गयी है। हालांकि चीनी विनिर्माण उद्योग बहुत मजबूत है, लेकिन आने वाले वर्षों में गुणवत्ता के लिहाज से मजबूती लाने पर ध्यान रहेगा। वैसे चीन को मैन्युफैक्चरिंग हब कहा जाता है, ऐसे में अगर क्वालिटी में सुधार होता है तो यह बेहद महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। क्योंकि चीन का औद्योगिक आधार बहुत मजबूत है। भविष्य में गुणवत्ता पर ज़ोर दिया जाएगा, इसके लिए लगभग तीस साल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अगर प्रयास सफल रहे तो आगामी तीन दशकों में चीन विश्व के बड़े विनिर्माण सेक्टर पर अच्छी पकड़ बना लेगा। जिस तरह पाँच वर्ष पहले जर्मनी ने औद्योगिक क्रांति 4.0 हासिल किया था, चीन की नज़र उस पर है। जिसमें आईटी, आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस व रोबोटिक्स पर ध्यान दिया गया। चीन द्वारा उठाये जा रहे ये कदम वास्तव में पूरे विश्व के लिए अच्छे संकेत हैं। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि चीन की इकॉनमी सही दिशा में आगे बढ़ रही है।

जहां तक चीन द्वारा उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने की बात है, उसके लिए प्रदूषण कम करने के साथ-साथ वायुमंडल के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस कमी लानी होगी। यहां बता दें कि चीन पेरिस समझौते और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य पाने की कोशिश करने वाले देशों में सक्रिय रूप से भागीदार है। उसके मद्देनजर चीन सरकार को बहुत कदम उठाने होंगे। खासकर जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए उद्योगों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। अन्यथा सतत विकास साकार नहीं हो पाएगा।

कालरा के अनुसार चीन ने पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान तो दिया है, लेकिन इसकी गति थोड़ा धीमी है। क्योंकि जिस लिहाज से उद्योगों का विकास हुआ है, उस अनुपात में प्रदूषण व वायुमंडलीय तापमान घटाने का काम नहीं हुआ है। हम चाहते हैं कि चीन जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाए।

वहीं गरीबी उन्मूलन के संदर्भ में काम करने को लेकर चीन बधाई का हकदार है। जिस तरह से चीन ने लोगों को खुशहाल बनाने के लिए कदम उठाए हैं, वे वाकई में सार्थक साबित हुए हैं। चीनी राष्ट्रपति ने हाल में इस बारे में घोषणा भी की, जो कि विश्व के लिए आश्चर्य की बात है। चीन जैसे देश में अत्यधिक गरीबी खत्म करने का श्रेय चीन सरकार व यूएन के सतत विकास लक्ष्य को दिया जाना चाहिए। भारत को भी इस दिशा में कदम उठाते हुए सीख लेने की आवश्यकता है। यूएन के लक्ष्य को पाने के लिए संपत्ति का समान बंटवारा अहम साबित हो सकता है। जिसके तहत, अमीर व ग़रीब के बीच की चौड़ी होती खाई को पाटना होगा।

 By-Anil Azad pandey, China Media Group

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