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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में बढ़ोत्तरी से स्वदेशी (Indigenous) का सरोकार

By G D Pandey

g5किसी देश की कम्पनी द्वारा दूसरे देश में किया गया निवेश विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई ) कहलाता है। ऐसे निवेश से विदेशी निवेशकों को दूसरे देश की कम्पनी अथवा उद्यम को अपने हितों के अनुरूप चलाने हेतु उसके प्रबंधन में हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें वे अपनी पूंजी लगाते हैं। ऐसे विदेशी निवेशक आर्थिक अनुसंधानों एवं निष्कर्षों के आधार पर दूसरे देश के ऐसे उद्यम का चयन करके उसमें निवेश करने में रुचि दिखाते हैं। जिससे उन्हें अधिक से अधिक रिटर्न और लाभ प्राप्त हो सके। किसी भी उद्यम में जिस हित धारक (स्टेक होल्डर)  का पूंजी निवेश जिस अनुपात में होगा उसके समानुपात में ही प्रबंधन में भी उसका अधिकार भी होता है। यह बात सही है कि विदेशी प्रत्यक्ष पूंजी निवेश के साथ विदेशी टेक्नोलाजी भी आती है। लेकिन उस टेक्नोलाजी का फायदा किसको कितना पहुंचेगा यह एक विचारणीय विषय हो सकता है।

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बंद हुई इकाइयां और प्रभावितों की संख्या

पिछले दो वर्षों से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीतियों को काफी लचीला बना दिया और एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में सौ फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी गयी। परिणाम स्वरूप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में साल 2019 में 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी तथा साल 2020 में 18 फीसदी की रिकार्ड बढ़ोत्तरी बताई जा रही है। आंकड़ों के अनुसार इस समय तक भारत में पचास अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है। भारत के एकल ब्रांड वाले खुदरा कारोबार में जो भी निवेश होगा वह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में से ही होगा। उसमें कोई स्वदेशी स्टेक नहीं होगा । इसके अलावा बंद होने की कगार पर खड़ी एयर इंडिया को चालू करने हेतु 49 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा 51 फीसदी अन्य स्टेक की मंजूरी मिली हुई है।अभी सरकार ने यह निर्णय लिया है कि रक्षा उत्पाद के निर्माण में 74 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करेगा और केवल 26 प्रतिशत स्वदेशी स्टेक होगा।

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आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछले पाॅच वर्षों में भारत की 114 स्वदेशी कंपनियां बंद हो चुकी हैं। यदि पब्लिक सैक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू)  के क्षे़त्र में देखें तो एचएमटी बंद हो चुकी, स्कूटर इंडिया बंद हो चुका, एलआईसी को बेचने की बात चल रही है एयर इंडिया घाटे के चलते सरकार के लिए उसे सुचारु रूप से चलाना मुश्किल बताया जा रहा है।

बीएसएनएल अपनी अंतिम सांसे ले रहा है, लौह खनन  के कार्य में निजीकरण के लिए
पिछले दिनों सरकार ने रोड मैप तैयार किया। इसके अलावा लोकसभा में एक मंत्री द्वारा दिए गये बयान के अनुसार पब्लिक सैक्टर की पन्द्रह कम्पनियों जिनमें हिन्दुस्तान केबल तथा इंडिया ड्रग्स शामिल हैं को बंद करने की मंजूरी प्रधानमंत्री द्वारा दी जा चुकी है। राष्ट्रीयकृत बैकों में से अनेकों को आपस मे मर्ज कर दिया गया है। रेलवे घाटे पर चल रही बताई जाती है, देश भर में सारे रेलवे अस्पतालों को बंद करने संबंधी नोटिस 4 अगस्त 2020 को संबंधित रेलवे प्राधिकारी द्वारा जारी किया जा चुका है ।

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उपर्युक्त में से कुछ स्वदेशी कारोबार के पाताल लोक में पहुंचने से और कुछ के पहुंचने की दहलीज पर खड़े होने से हजारों कर्मचारी बेरोजगारी अथवा बेरोजगार हो जाने की चिन्ता में डूबे हुए हैं। देशव्यापी लाकडाउन के चलते पिछले दिनों मेहनतकश वर्ग पर जो बेरोजगारी और कोरोना वायरस की दोहरी मार पड़ी है। जग जाहिर है।

सोचनीय विषय यह है कि क्या जिस एफडीआई में बढ़ोत्तरी की शेखी बघारी जा रही है उससे स्वदेशी कारोबार, वोकल फार लोकल तथा आत्म निर्भरता को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी ? भारत के बहुसंख्यक मेहनतकश वर्ग को इसका लाभ किस तरह मिलेगा ?

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