marriage e1619351601646

शकुनाखर में ईष्ट देव और देवी देवताओं से मांगा जाता है आशीर्वाद

By Aashish Pandey

शकुनाखर उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल में शुभ कार्य में गाए जाने वाले गीत हैं।शकुन का अर्थ है शगुन और आखर मतलब अक्षर यानी शगुन मौके पर गाए जाने वाले अक्षर। नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह सहित सभी मांगलिक अवसरों पर यह गाये जाते हैं। गढ़वाल में इन्हें मांगलगीत कहा जाता है। शकुनाखर को तीन या चार महिलाएं टोली में गाती हैं। 

चुनिंदा महिलाएं ही शकुनाखर को गाती हैं। इन गीतों में संबंधित कार्य के निर्विघ्न संपन्न होने के लिए ईष्ट देवों और देवी-देवताओं से आशीर्वाद माँगा जाता है। साथ ही परिवार के लिए सुख, शांति, .समृद्धि और परिजनों की लंबी उम्र की भी कामना की जाती है। खास बात यह है कि हर मांगलिक अवसर पर अलग तरह का गीत गाया जाता है।

संस्कारों और शुभ कार्यों में गाये जाने वाले शकुनाखर
शकूना दे, शकुना दे,
काज ये अती नींको सो रंगीलो,
पाटलो आंचली कमलौ को फूल।
सोही फूल मोलावंत, गणेश,
रामीचन्द्र, लछीमण, जीवा जन में,
जीवा जन में आद्या अमरु होय।
अमरु होय, सोही पांटो पैरी  रैना,
सिद्धि बुद्धि, सीता देही, बहुरानी,
आई वान्ती पुत्र वान्ती होय,
सोही फूल मोलवन्ती,
(परिवार के पुरुषों के नाम)जीवा जन में आद्या अमरु होय,
सोही पाटो पैरी रैना,
सिद्धि-बुद्धि (परिवार की स्त्रियों के नाम

किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत  गाये जाने वाले शकुनाखर

जय जय गणपति, जय जय ए ब्रह्म सिद्धि विनायक।
एक दंत शुभकरण, गंवरा के नंदन, मूसा के वाहन॥
सिंदुरी सोहे, अगनि बिना होम नहीं,
ब्रह्म बिना वेद नहीं,
पुत्र धन्य काजु करें, राजु रचें।
मोत्यूं मणिका हिर-चौका पुरीयलै,
तसु चौखा बैइठाला रामीचन्द्र लछीमन विप्र ऎ।
जौ लाड़ी सीतादेही, बहुराणी, काजुकरे, राजु रचै॥
फुलनी है, फालनी है जाइ सिवान्ति ऎ।
फूल ब्यूणी ल्यालो बालो आपूं रुपी बान ऎ॥

बारात के पहुंचने पर गाया जाने वाला मंगल गीत

जब ही महाराजा देश में आए,
देश में धूम मचाए, हो मथुरा के हो वासी,
जोशी ज्यू लगन में आईयो, हो मथुरा के हो वासी,
जब ही महाराजा अंगना में आए, अंगना में धूम मचाइए,
हो मथुरा के हो वासी।
बढ़इया चौख ले ऐयो, शंख घंट सबद सुणइयो,
अंगना सुं चौक पुरैयो, बहिनियां रोचन ल्यइयो,
विरामन वेद पढ़इयो, हो मथुरा के हो वासी।
शुभ्रण कलश भरइयों हो, मथुरा के हो वासी,
तमोलिनी बीड़ा ले आईयो, हल्वाईनि सीनिं ले अइयो,
मलिनि फुल ले अइयो, हो मथुरा के हो वासी,
बजनियां बाजा बजइयो, गहमह बाजा बजइयो,
हो मथुरा के हो वासी।

छठी तथा नामकरण का मांगल गीत

तुम रामी चंद्र लछीमण कवन के तुम पूत,
तुम कवन माएलि ले उर धरौ?
तुम कवन बहीनों को भाई लो?
हम रामीचंद्र लछीमण दशरथ के पूत,
मेरि माई कौसिल्य रांणि लै,
मेरि माई सुमित्रा रांणि लै उर धरो।
उर धरौ है लला दस मास, मेरि बहिनां सुभद्रादेहि को माए लै,
हम लव कुश, रामी चंद्र के पूत,
मेरि माई सीतादेहि लै,
बहूरांणि लै उर धरौ।
उर धरौ है लला दस मास, मेरि बहिनां बहिनीं देहि को माए लै॥

Follow us on Google News

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top