by Aashish Pandey
कहते हैं हर इंसान में एक हुनर छुपा होता है। बस जरूरत है तो उसे पहचानने और निखारने की। इसे पहचानने में कुछ लोगों की जिंदगी खप जाती है तो कुछ खेलने कूदने की उम्र में अपना हुनर समझ जाते हैं। एक ऐसी ही छात्रा हैं संचालिका दास। उन्हें रंगों की दुनिया से प्यार है, चित्रकारी की समझ और दिलचस्पी भी। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए चल रहे लाॅकडाउन में वह पत्थरों पर पेंटिंग बना रही हैं।
गोरापड़ाव निवासी सुमित दास की बेटी संचालिका ने 12वीं की परीक्षा दी है। वह लाॅकडाउन के दौरान पेंटिंग बना रही हैं। उन्हें इसका शौक बचपन से रहा है। वह अपने फ्रेंड व रिलेटिव को बर्थडे पर खुद की पेंटिंग किया हुआ कार्ड ही देती हैं। वह कहती हैं कि आज के दौर में पढ़ाई में कंपटीशन टफ हो गया है। हर बच्चे पर अच्छे नंबर से पास होने का प्रेसर रहता है। ऐसे में पढ़ाई के साथ शौक को पूरा करना आसान नहीं है। पिछले सत्र में 12 वीं की क्लास थी तो पढ़ाई के अलावा पेंटिंग को समय नहीं दे पाई। इन दिनों पेंटिंग करने के लिए खूब समय मिल रहा है।
संचालिका के परिजन बताते हैं कि वह घर में किसी भी बेकार चीज पर पेंटिंग बना देती हैं। डिब्बे हों या शीशे की बोतलों पर उन्होंने पेंटिंग बनाई हैं। पेंटिंग से घर को भी सजाया है। वह आगे कहती हैं कि उनको दो ही काम अच्छे लगते हैं पेंटिंग करना और किताबें पढ़ना। इन दिनों अपना पूरा समय किताबें पढ़ने, पेंटिंग करने और थोड़ा बहुत समय टीवी देखने में बिता रही हैं।
संचालिका आर्ट साइड की स्टूडेंट हैं। वह भविष्य में सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती हैं। उनके पिता सुमित दास डिबेर (निदेशक रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान) गोरापड़ाव में कार्यरत हैं।